सिद्धांत आधारित नेत्रत्व
हमारी प्रभावकारिता कुछ सिद्धांत पर आधारित होती है ,मानव जीवन में प्राकृतिक कानून या नियम उतने ही वास्तविक और उतने ही स्थिर होते है जितना की भौतिक विज्ञान के आयाम में गुरुत्वाकर्षण के नियम ये सिद्धांत हर सभ्य -समाज के ताने- बाने होते है, और उस परिवार व संस्थान की जड़ को बनाते है जो लम्बे समय तक टिके रहे और फलते - फूलते रहते है ा
सिद्धांत का अविष्कार न तो हमने ना ही समाज ने किया वे तो ब्रह्माण्ड के नियम है , जो मानव सम्बन्ध और मानव संगठनो से जुड़े है, वे मानव परिस्थितियों चेतना और विवेक का हिस्सा है, लोग निष्पक्षता , न्याय , समानता , सत्यनिष्ठा, और उनके साथ जितना अधिक समन्वय में रहंगे , उतना ही वे स्थिरता की ओर आगे बड़गे ओर ऐसा न करने पर बिखंडन और विनाश की तरफ जायगें ा
हम अपने जीवन में देखते है, की लोग सहज ही उन लोगो पर यकीन कर लेते है, जिनका व्यक्तित्व सही सिद्धांत की बुनियाद पर आधारित होता है हमारे दीर्घकालीन संबंधो में यह देखा जा सकता है जहां हम सिखते है ओर सीखाते है की विश्वाश की तुलना में तकनीक महत्वपूर्ण नहीं है, जो की लम्बे समय तक की विश्वनीयत का परिणाम होता है जब विश्वाश अधिक होता है तो हम आसानी से बिना कोई प्रायस किये तत्काल ही एक- दुसरे से संवाद कर लेते है हम गलतिया कर सकते है और उसके बावजूद बाकी लोग हमारी बात समझ जाते है लेकिन जब भरोसा कम होता है, तो आपस में संवाद करना बहुत थकाने वाला या समय लेने वाला अप्रवाही और बहुत जायदा मुश्किल हो जाता है ा
सिद्धांत स्पष्ट, स्वप्रमाणित ओर प्राकृतिक होते है वे न तो बदलते है न ही विस्थापित होते है जब हम अपनी जिन्दगी में धाराओ में रास्ता बना रहे होते है, तो वे हमे वास्तविक दिशा ओर सही रास्ता हमें दिखाते हैा
सिद्धांत हर समय सभी स्थानू पर लागू होते है वे मूल्यों, विचारो, प्रतिमानों के रूप में सामने आते है जो लोगो का उत्थान करते है उन्हें प्रभावशाली बनाते है ओर उनका सशक्तिकरण करते है, इतिहास का सबक यह रहा है की लोगो और सभ्यताओ ने जितनी हद तक सही सिद्धांत के साथ सामंजस्य से काम किया है वे सम्रद्ध हुए है परन्तु जहां सिधान्त का अनुसरण नहीं किया गया वहा सामाजिक पतन के जड़ में सही सिद्धांत के उल्लघन जैसी मुर्खता से भरी कार्यप्रणाली या प्रथा रही है, यदि सही सिद्धांत के प्रति अधिक सामाजिक प्रतिबताऐ होती तो कितनी ना जाने कितनी ही अधिक आर्थिक आपदाओं, संस्कृतियों मध्य टकरावों, व राजनितिक क्रांतियो और गृहयुधो से बचा जा सकता था
सिद्धांत इस नियम पर आधारित है की हम इन प्राकृतिक नियमों को किसी भी हालत में नहीं तोड़ सकते हैा हम चाहे उन्हें माने या न माने वे प्रमाणित सिद्धांत द्व्रारा संचालित होगे , तो ब्यक्ति ओर अधिक प्रभावी होगे और संगठन अधिक सशक्त होंगे सिद्धांत के माध्यम से निजी व ब्यक्तियों के बीच समस्यओं का हल आसान व तेजी से किया जाने वाला हल नहीं ये तो बुनियादी सिद्धांत है जिन्हें लगातार लागू किये जाने पर वे स्वभावजन्य आदते बन जाती हे और फिर उनसे ब्यक्तियों के रिश्तो व संगठन का आधारभूत रूपातंरण संभव हो जाता है ा
मूल्यों की तरह सिद्धांत भी वस्तुपरक व बाहरी होते है वे प्राकृतिक सिद्धांत के अनुसरण में काम करते है, परिस्थिति चाहे जो भी हो मूल्य विषयपरक और आन्तरिक होते है मूल्य नक्शों की तरह होते है नक़्शे क्षेत्रों में नहीं होते वे किसी इलाके का बर्णन या उसका प्रतिनिधित्व करने के विषयपरक प्रयास होते है हमारे मूल्य या नक़्शे जितने अच्छी तरह सही सिधान्त के साथ उस क्षेत्र की सचाई के साथ वास्तविक स्थियो के साथ जितनी अच्छी तरह ब्यवस्थित होगे वे उतने ही सटीक और उपयोगी होगे लेकिन् जब इलाके में लगातर बदलाव आ रहे हो बाजार में लगातार परिवर्तन हो रहे हो तो ऐसे में कोई भी नक्शा बेकार या पुरना हो जायगा
मूल्य आधारित मानचित्र कुछ उपयोगी विवरण उपलब्ध करा सकते है लेकिन सिद्धांत आधारित दिशासूचक अमूल्य द्रिष्टी और सही दिशा दे सकता है, एक ही सही नक्शा प्रबंधन का अच्छा सिद्धांत हो सकता है लेकिन धुर उतर सिधांतो पर आधारित दिशा सूचक नेतत्व और सशक्तिकरण का साधन है उतर की ओर हम मानचित्रो से ही प्रबंधन करने में लगे रहे तो हम लक्ष्यहिन् होकर भटकते रहगे या अवसरो को गवा कर अपने संसाधनों को बर्बाद कर देगे.
हमारे मूल्य अक्सर हमारी सास्कृतिक पृष्ठभूमि की मान्यताओं को दर्शाते है, बचपन से हम मुल्यू की ब्यवस्था विकसित करते है, जिनके माध्यम से हम दुनिया को देखते है ा
एक बहुत आम प्रतिक्रियात्मक नमूना यह होता है की हम मूल्य-आधारित अंशो में जीवन जीते है, जहा हमारा बर्ताव कुछ निशचित भूमिकाओं जैसे जीवन साथी, माता-पिता बचो के कार्यकारी समुदाय नेता और इसी तरह की अन्य भूमिकाओ के आसपास केन्द्रित अपेक्षओं को पूरा करने और अपनी मूल्यों के हिसाब से जीवन जीने की कोशिश करते हुए पाते है. ा
जब लोग अपने निजी मूल्यों को सही सिद्धांत के साथ ब्यवस्थित करते है तो वे पुराने अनुभवों या प्रतिमान से मुक्त हो जाते है प्रमाणिक नेताओ की कई विशेषताओ में से एक विशेषता विनम्रता की होती है, जो उनके द्वारा चस्मा हटाने और चीजों को निष्पक्षता से देख जाने की योग्यता में प्रकट होती है, वे विश्लेषण कर सकते है की उनके मूल्य , अनुभव, मान्यताओ और बर्ताव कितनी अच्छी तरह उतर दिशा के सिद्धांत के अनुकूल है ा
सिद्धांत - आधारित नेत्रव की विशेषताऐ
वे सभी लगातार सीखते रहते है
सिद्धांत - आधारित लोग अपने अनुभवों से लगातर शिक्षित होते रहते हे वे पढ़ते हे उन्हें प्रशिषण की आवश्यकता होती हे वे बाकी लोगो की बातो को ध्यान से सुनते हे वे अपनी वे अपनी आँखों व कानों से लगातार सिखाते रहते है वे उत्सुख होते हे ह्र्मेशा सवाल पूछते रहते है वे नए हुनर नई रूचिया विकसित करते हे वे नहीं जानते यह की उनकी जानकारी के दायरे के बढने के साथ ही अज्ञानता का बाहरी छोर भी बढता है सीखने ओर बड़ने की अधिकतर ऊर्जा ख़ुद ही शुरु की जाती हे ओर स्वयं ओर स्वयं को पोषित करती है।
वादे करके ओर उनका पालन करना सिखाकर आप अपनी समताओ को तेजी से विकशित करेंगे ख़ुद से छोटा सा काम करने से शरुआत करे उस वादे पर तब तक लगातार कायम रहे जब तक की आपको यह न लगे की अब आपका स्वयं पर थोडा अधिक नियंत्रण है अब चुनैती के अगले स्तर पर जाये ख़ुद से कोई वादा करे ओर उसे तब तक बनाए रखे , जब तक की आप उस स्तर की ओर बडे वादा करे ओर उसे निबाये ऐसा करते हुये आपका आत्म विश्वास भी अगले स्तर पर महारत हाशिल कर सकते हे.
इस पूरी प्रक्रिया के दोरान गंभीर रहें ओर अपने इरादे पर कायम रहे क्योंकि स्वयं से यह वादा करने के बाद अगर आप उसे तोड़ते हे तो आपका अपना मन कमजोर होगा ओर किसी दुशरे वादे को करने व उस पर कायम रहने की आपकी समता में भी कमी आयगी.
वे सभी सेवा उन्मुख होते है
सिद्धांत - केन्द्रित होने का प्रयास करने वाले लोग जीवन को एक मिशन की तरह देखते हे, न की केवल करियर या अजीविका के रूप में उनकी शिक्षा - दिशा के स्रोत ने उन्हें सेवा के लिये सक्षम व तैयार किया जाता है।
असल में हर सुबह वे बाकी स्रोत ने उन्हें सेवा के लिए सक्षम व तैयार किया होता है. असल में हर सुबह वे बाकी लोगो के बारे में सोचेते हुये उनकी सेवा कि भावना रखते है ा
काम करने के लिये अपने कंधों पर उठाते हे. हर सुबह आप उठे ओर अपने बिभिन कार्य में सेवा का बीड़ा उड़ाए. काम करने के लिये अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेने के लिये ख़ुद को तैयार होता देखे. देखे की उस तैयारी में कोई आपकी मदद कर रहा है . किसी दुशरे ब्यक्ति जैसे की अपने सहकर्मी या जीवनसाथी को अपने साथ खड़ा देखे ओर सीखे की आप कैसे उसके साथ काम कर सकते है।
में सेवा या काम का बीड़ा उठाने के सिधान्त पर जोर देता हू क्युकी में यह मानता हू की बिना बोझ उठाये सिद्धांत- आधारित बनने की कोशिश कामयाब नहीं होगी . हम इसे किसी बोद्धिक या नेतिक काम के रूप में भी देख सकते है, लेकिन अगर हममे जिम्मेदारी , सेवा , योगदान किसी चीज़ पर जोर लगाने का भाव नहीं है तो यह सब ब्य्रर्थ साबित होता है।
वे सकारात्मक ऊर्जा बिखरते है
सिद्धांत - आधारित लोग, खुशमिजाज, हसमुख, ओर आनंदित होते है उनका रवैया आशावादी , सकरात्मक ओर उत्साहपूर्ण होता है. उनका स्वभाव , उत्शाही, अशवादी ओर अश्तापूर्ण होता है सकारात्मक ऊर्जा किसी उर्जा क्षेत्रों को उर्जा क्षेत्रों को अपनी ओर आकर्षित करते है तो वे उन्हें बेअसर कर देते हे या फिर उस नकरात्मक उर्जा स्रोतो के संपर्क में आते है तो उन्हें बेअशर या फिर उस नकरात्मक उर्जा से बचकर निकल जाते है. कई बार वे उसे छोड देते है और उसके जहरीले घेरे से दूर चले जाते है समजदारी उन्हें बोध कराती है की वे कितने मजबूत है ओर हास्यबोध उससे निपटने के सही समय के बारे में भी बताती है.
वे बाकी लोगो में विश्वाश रखते है.
सिद्धांत- आधारित लोग नकारात्मक बार्तव, आलोचना या मानवीय कम्जोरिर्यो पर अति प्रतिक्रिया नहीं करते बाकी लोगो की कमजोरियों का पता लगाने पर वे बड़ा महसूस नहीं करते . वे भोले - भाले नहीं होते वे कमजोरियों को लेकर जागरूक होते है. लेकिन वे यह जानते है। की बार्तव ओर समता , दोनों बिलकुल अलग बाते है. वे सभी लोगो की अनदेखी समता पर बिश्वास रखते है वे ख़ुद को मिली चीजो के प्रति कृतघ होते है ओर सहज रूप से करुणा पुर्बक ढंग से बाकी लोगो की गलतियों को माफ़ करते है व उन्हें भूल जाते है वे दोष को मन में नहीं रखते वे अन्य लोगो पर लेवल नहीं लगाते उन्हें परंपरिक रूप से नहीं देखते उनका बर्गीकरण नहीं करते ओर उनके प्रति पूर्बधारणा नहीं बनाते इसके बजाय वे बाजफल में आम के पेड़ को देखते है ओर किसी में भी विकास की संभवाना को समझ सकते है।
वे संतुलित जीवन जीते है.
वे बहतरीन साहित्य व पत्रिकाए पड़ते है ओर सामयिक मामलो व घटनाओं की जानकारी रखते है वे सामजिक रूप से सक्रीय रहते है, उनके कई दोस्त ओर कुछ विस्वास पात्र लोग होते है. वे बोद्धिक रूप से सक्रिय होते ओर कई चीजो में दिलचस्पी रखते है वे पढ़ते है, ध्यान से देखते - परखते है ओर सीखते है उम्रः व सेहत की सीमाऔ में रहते हुए वे शारीरिक रूप से सक्रिय रहते है वे बहुत मजे करते है वे' चीजो का आनन्द लेते है. उनमे स्वास्थ का हाश्बोध होता है वे ख़ुद पर हँसते है न की बाकी लोगो पर आप समझ सकते है की उनमे अपने प्रति समान होता है ओर खुद को लेकर वे ईमानदार होते है.
वे अपने मोल को पहचानते है, जो उनके शाहस' व समग्रता में दिखाता है ओर उन्हें डीगे हाकने , बड़े- बड़े लोगो के नाम लेने, सम्पति या प्रमाण पत्रों या या अतीत की उपलाब्दियो से ताकत लेने की जागरूत नहीं होती वे खुलकर , सरल तरीके से सीधे , बिना किसी लागलपेट के किसी से सवाद स्थापित करते हे . उनमे यह बोध होता है की उचित है वे बड़ा- चड़ाकर बात करने के बाजए उसे कम करके बताते है वे अतिवादि नहीं होते , वे किसी एक ओर पूरी तरह नहीं झुकते वे हर चीझ को दो हिशो में नहीं बाटते उसे केवल अछे या बुरे , यह या वह के रूप में नहीं देखते . वे सयोंजन , प्रथिमिकत्वो , अनुकार्मो के अनुसार सोचेते है उनमे हर परिस्थिति को पहचान करने की शक्ति होती है , वे हर चीज़ को किसी निश्चित परिस्थिति के लिहाज से दखते है वे सम्पूर्णता से देख सकते है ओर साहस के साथ बुराई के भर्तना ओर अच्छाई का समर्थन करते है उनके क्रियाकलाप ओर रवये स्थिति के अनुसार होते है- संतुलित, सयमित, सयत ओर बुद्धिमता पूर्ण होते है.
उदा. के लिये वे जरूतत से जायदा काम काम नहीं करते , धार्मिक रूप से कट्टरपंथी नहीं होते है , राजनातिक तोर पर उन्मादी नहीं होते , भोजन पर अत्यधिक नियत्रण करने वाले या फिर जरूरत से जायदा खाने वाले नहीं होते , मजे के अदि या फिर उपवास करने वाले धारात्मा नहीं होते होते वो अपनी योजनोओं व दिनचर्याओं के गुलाम नहीं होते वे अपनी हर बफोकाना गलती या सामाजिक भूल के लिये ख़ुद को नहीं धिकारते वे बीते कल को लेकर नहीं बढे रहते या फिर भविष्य के दिवास्पन नहीं देखते रहते ओर बदलते हालात के साथ ढालने के लिये जरूरी लचीलापन रखते है अपने प्रति उनकी ईमानदारी उनके हाश्बोध से, अपनी गलतियों को मानने व उन्हें भूल जाने ओर अपने समर्थ के अनुसार आने वाले काम को प्रशान्त पुर्बक करने के रूप के रूप में सामने आती है .
उन्हें अपने आक्रामक क्रोध या आत्म - दया वाले भाव से किसी से चतुराई पुर्बक काम करने की जरूरत नहीं होती वे बाकी लोगो की सफलताऔ पर सचमुचखुश होते है ओर उन्हें यह नहीं लगता की किसी दुसरे की कामयाबी उनमे कुछ छीना नहीं जाता . वे प्रंशसा ओर आरोप को बिना किसी आत्म संतुष्टी या अनावश्क प्रतिक्रिया को सही ढंग से लेते है. वे नाकामी के द्सरे सिरे पर कामयाबी को देखते है . उनके लिये वास्तबिक असफलता वह अनुभव है , जिससे वे कुछ नहीं सिखाते .
वे जीवन को अपूर्ब अनुभव के रूप में देखते है .
सिद्धांत - केन्द्रित लोग जीवन का स्वाद लेते है . उनकी सुरक्षा का भाव भीतर से आता है, न की बाहर से, इसलिए उन्हें निश्चाता व स्थिरता के लिये जिन्दगी में हर चीज़ व हर किसी को बर्गीकृत करने किसी साचे में ढालने की जरूरत नहीं होती वे पुरने नये ढ़ंग से पुराने परिदर्शो को ऐसे देखते है, मानो उन्हें पहली बार देख रहे हो वे अनजाने इलाको में किसी अभियान पर निकलता वाले साहसी अन्व्शको की तरह होते है, उन्हें पता नहीं होता की क्या होने वाला है लेकिन उनमे यह विश्वाश होता है की वह रोमांचक व विकास करने वाला होगा ओर वे नए क्षेत्रों को खोजगे ओर नए योगदान देंगे. उनकी सुरक्षा, उनके अपने ठिकाने , अपनी आरामदेह जगहों की हिफाजत, संरक्षण ओर बहुलता इच्छा शक्ति , साहस , सहनशील , ओर स्वभाविक बुदिमत्ता में होती है.
वे हर लोगो से मिलने पर उन्हें फिर से समझते है. वे उनमे दिलचस्पी लेते उनसे प्रशन करते है ओर उनसे जुड़ते है. वे ध्यान से बात सुनते है वे विशेष तोर पर वर्गीकृत नहीं करते . वे जिन्दगी से बड़ा किसी को नहीं समझते वे बड़ी सरकारी हस्त्रियो या मुशहूर लोगों के रोब में नहीं आते वे उनके निस्चित सिधान्तो में से आने वाली हर स्थिति के मुताबिक ढल जाते है उनके निशचित सिधान्तो में से एक है लचीलापन वे सही मायने में परिपूर्ण जीवन जीते है।
वे सहक्रियाशील होते है
सहक्रिया ऐशी दशा है जिसमे सम्पूर्ण अशो के योग से अधिक होता है। सिधान्त - केन्द्रित लोग सहक्रिया होते है . वे बदलाव लाने के उत्प्रेरक होते है . वे जिस भी स्थिति में हो, उसे बहेतर बनाते' है वे कड़ी मेहनत करने के साथ- साथ चतुराई से काम करते है वे जिस भी स्थिति में हो , उसे बे हतर बनाते है वे कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ चतुराई से काम करते है. वे आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी होते है, लेकिन उनके तरीके नए व रचनात्मक होते है.
वे अपने टीम के प्रयासो में अपने शक्तियों पर ध्यान देते है ओर अपनी कमजोरियों की कमी को दुसरो की ताकत से पूरा करने की कोशिश करते है परिणाम पाने के लिये जिम्मेदारीयो को बटना उन्हें सहज व सरल लगता है क्योंकि वे लोगो की खुबुयो व उनकी समताऔ को समझते है वे इस बात से नहीं घबराते कि बाकी लोगो की खुबोयो व उनकी समताऔ को समझते है वे इस बात से नहीं घबराते कि बाकी लोग कुछ मामलो में उनसे बेहतर है , इशलिये उन्हें उन पर नजर रखने की जरुरत महसूस नहीं होती.
सिद्धांत केन्द्रित लोग जब विपरीत लगती परिस्थितिऔ में बाकी लोगो के साथ बातचीत व सवाद करते है, तो वे लोगो को समस्यऔ से अलग करना सिखाते है वे किसी अहोदे या पद को लड़ने के बजाय दुशरे ब्यक्ति' के हितो व सरोकारों पर ध्यान केन्द्रित करते है धीरे- धीरे बाकी लोग उनकी नेक नियति को जान लेते है ओर समस्या सुलझाने की रजनात्मक प्रक्रिया का हिस्सा बन जाते है वे साथ मिलकर सहक्रिया समाधानों पर पहुच जाते है जो कि अक्सर मूल प्रश्तावो से काफी बहतर होते वे समझते वाले समधनो के बिपरीत होते है , जिनमे दोनों पक्षों को कुछ मिलता है ओर उन्हें कुछ छोड़ना भी पड़ता है.
वे आत्म - नवनीकरण के लिये परिश्रम करते है.
वे मानव ब्यक्तिव के चार आयमो - शारीरिक, मानशिक, भवनात्मक ओर आध्यात्मिक के लिये नियमित रूप से अभ्यास करते है.
वे कुछ संतुलित , मध्यम श्रेणी की, नियमित एरोबिक जैशी कुछ चीज़ों यानि ह्र्दय वहनियो के लिये लाभदायक ब्यायाम में भगादारी करते है , अपनी टैंगो की मशपशियो का इस्तेमाल करते है ओर ह्र्दय व फेफेडो की किर्याओ को सुचारू रखते है इससे उन्हें मजबूती मिलती है उनके शरीर व मानशिक लाभ मिलता है लचीलापन के लिये स्ट्रेचिंग अभ्यास भी जरूरी है वे अध्ययन , रचनात्मक रूप से समस्याओ के हल , लेखन व चीजों की कल्पना करके अपने मस्तिष्क का भी ब्यायाम भी करते है भवनात्मक रूप से वे धीरज बनाए रखने की कोशिश करते है , वास्तबिक सहानभूति के साथ बाकी लोगो की बात सुनते है , बिना किसी शर्त अपना प्रेम ब्यक्त करते है ओर अपने जीवन अपने निर्णय ओर प्रतिक्रियो की जिम्मेदारी ख़ुद लेते है आद्यात्मिक तोर पर वे प्राथना , पवित्र पुस्तको का अध्ययन , ध्यान करते है.
यदि कोई ब्यक्ति दिनभर में एक घंटा इन ब्यायाम को करने में लगाता है तो निश्चित ही वह दिन के बाकी घंटो की गुणवत्ता, उत्पादकता व सुन्तुष्टि को बहतर करेगा ओर इसमें गहरी व आरामदायक नीद भी शामिल है.
अपने शरीर व दिमाग को पैना करने में लगा समय यानी मानव ब्याक्तिव के इन आयामों से बहूत लाभ पहूचाता है. अगर आप रोज यह काम करंगे , तो आपकी ही अनुभव होगा कि इनका आपके जीवन पर कितना अच्छा प्रभाव पड़ता .
अपने नवनीकरण के ये सिद्धांत धीरे- धीरे एक मजबूत व स्वास्थ्य चरित्र का निर्माण करंगे , जो सशक्त रूप से अनुशासित ओर सेवा - केन्द्रित इच्छा वाला होगा।
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