भारत में साइबर सुरक्षा चुनोतिया एवं समाधान
साईबर सुरक्षा क्या है- साइबर सुरक्षा नेटवर्क उपकरणों कार्यक्रमों और डेटा को हमले अनाधिकृत उपयोग से बचाने के लिए डिजाइन की गई तकनीकी प्रक्रियाओ और प्रथाओं को संन्दर्भित करता है। साईबर सुरक्षा को सूचना प्रौधौगिकी सुरक्षा के नाम से भी जाना जाता है। इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर आता है। भारत में 2020 के अंन्त तक 75 प्रतिषत तक ग्रामीण इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 730 मिलियन के आस-पास हो जायेगा। भारत इंटरनेट का उपयोग सैन्य संगठन कॉपोरेट ,एवं वित्तीय और चित्किसा संगठन आदि क्षेत्र मे इंटरनेट का उपयोग करता है। कापोरेट निकायों के बौद्विक संपदा वित्तीय डेटा व्यक्तिगत जानकारी या अन्य उपकरणों पर अभूतपूर्व मात्रा में डेटा का संग्रहण करता है। उसी डेटा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा संवेदनषील माना जाता है जिन पर अनाधिकुत पहुच जोखिम एक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
भारत में साइबर सुरक्षा की वर्तमान स्थिति. भारत साइबर हमलों का समाना करने वाले देषों मे 10 शीर्ष देशों में शामिल है। लाकडाउन अवधि के दौरान इन घटनाओ में कई गुना बढोतरी हुई है। आई. सी. सिस्टम के फिशिंग स्पैमिंग और स्कैनिंग के मामलों में लगभग तीन गुना वृद्वि हुई है। स्पैम मेल के माध्यम से मैलवेयर को इंजेक्ट करना आदि अन्य प्रवृत्तियां देखी गई है।
लाकडाउन अविध के दौरान इंटरनेट पर दुर्भावनापूर्ण यातायात में लगभग 56 प्रतिषत बढोतरी हुई है। कृत्रिम बुदिमिता मशीन लार्निगए इंटरनेट. सक्षम डिवाइस और बिग डेटा जैसी तकनीकों ने साईबर हमले के परिस्थितिक तंत्र को और जटिल बना दिया है।
साइबर सुरक्षा की चुनौतिया
साइबरस्पेस के लिए राष्टीय स्तर के आर्किटेक्चर का अभाव
- देश में कोई राष्टीय स्तर के आर्किटेक्चर का नही होने के कारण समस्या ओर अधिक बड जाती है। राष्टीय
स्तर के आर्किटेक्चर के माध्यम से खतरे की प्रकृति का आकालन करने और उनसे प्रभावी ढंग
से निपटने में देश की साइबर सुरक्षा प्रणाली को सक्षम बनाया जा सकता हें
जागरूकता का अभाव-
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिकूल नीति न होने के कारण कपंनी के स्तर तथा व्यक्तिगत
स्तर पर जागरूकता का आभाव है।
साइबरस्पेस सिक्योरिटी वर्कफोर्स
की कमी - साइबरस्पेस सिक्योरिटी से सम्बन्धित कुशल आदमियों की कमी है। यह साॅफटवेयर
एंव हार्डवेयर दोनों पहलुओं तथा भारतीय सैन्य एवं केंन्द्रीय पुलिस संगठनों, कानून प्रर्वतन एजेंसियों आदि
से संबन्धित है।
सक्रिय साइबर रक्षा कानून का
अभाव- भारत में यूरोपीय संघ के तरह सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन सक्रिय साइबर रक्षा का कानून नही होने के कारण जोखिम
ओर अधिक बड जाता है।
साइबर सुरक्षा उपकरणों के लिए विदेषी कंपनियों पर निर्भरता- भारत में 75 प्रतिशत हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के उपकरण चीन से आयात किये जाते है। अतः उपकरणो की निर्भरता एवं स्वदेषीकरण का अभाव होने के कारण यह भारत के साइबर स्पेस को राज्य और गैर-राज्यकर्ताओं के लिये साइबर हमलों के लिए असुरक्षित बनाता जा रहा है। साइबर सुरक्षा के संबंध में भारत द्वारा उठाए गए कदम-
भारत में सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम
2000 पारित किया गया है। जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान
सम्मिलित रूप् से साइबर अपराधों से निपटने के लिये पर्याप्त माने गये है। सूचना प्रौधोगिकी
अधिनियम 2000 की धाराएं 43ख् 43ए 66, 66बी, 66सी, 66डी, 66एफ 67, 67ए 67बी, 70, 72ए और 74 हैकिंग और साइबर अपराधों से संबधित
है।
सूचना प्रौधोगिकी संशोधन अधिनियम
2008 में साइबर सिक्योरिटी की धारा 43 डेटा सुरक्षा 66 हैकिंग 66 ए - आपत्तिजनक संदेस भेजने के खिलाफ उपाय 66बी अवैध रूप से चोरी हुए कूप्यूटर अनाधिकृत पहुच के खिलाफ सुरक्षा 69 साइबर आतंकवाद 70 सुरक्षित प्रणाली तक पहॅुच का प्रयास 72 गोनीयता से संबंधित है।
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 को भारत के नागरिकों और व्यवसायों
के लिए एक सुरक्षित और लचीली साइबरस्पेस बनाने के लिए विकसित किया गया था
मेक इन इण्डिया - भारत सरकार द्वारा 2014 मे मेक इन इण्डिया कार्यक्रम की स्थापना की जिसका उद्देश्य भारत को आत्म-निर्भर बनाना है।
साइबर सुरक्षा हरदेश देश के लिये एक गम्भीर चुनौती है। जिसे बहुत अधिक प्राथमिकता के साथ समाधान किया जाना चाहिऐ।
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